Tuesday 2 February 2016

एक शब्द से कविता

कह तो दिया ,
यही  सच है।
अब,
अब क्या सफाई दुं
शब्द को सच बनाने में
भाव ही तो मौन है
शब्द तो पुरे है ,
नपे-तुले
जरुरत के हिसाब से
वक़्त की नजर से
भाषा की नजर से
भाव ,
भाव का क्या है
नकाब ही तो है
जो
जरुरत के हिसाब से
वक़्त की नजर से
भाषा की नजर से
हम पहनते ,
बदलते रहते है 
- Saurav Kumar Sinha

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