Sunday 14 February 2016

पाश' की कविता - भारत

माहौल तो अनुकूल नहीं है 'पाश' की कविता साझा करने का लेकिन जब राष्ट्रीयता का सर्टिफिकेट राजनैतिक दाल बांटने लगे और राष्ट्रवादी होने का पैमाना सिर्फ एक रह जाए की आप निज़ाम सुर में सुर मिलाए , तो ये स्थिति केवल भयावाह ही नहीं अपितु अत्यंत विचारणीय भी है। आप मार्क्सवादी हो या समाजवादी या दक्षिणपंथी या किसी और विचारधारा के समर्थक , विचारो की लड़ाई में जीत हार विचार की हीं होगी और उसमे अस्त्र भी विचार ही होंगे। किसी ने कहा भी है - An Arrow in the Blue

आरोप प्रत्यारोप से पहले अपनी विचारधारा का गहन अध्यन करे , उसकी बीज अगर नफ़रत की जमीन पे बोई गई थी तो कम से कम भारत में उस विचारधारा का बहुत दिन तक टिकना मुश्किल है , हम क्षणिक हिंसक हो सकते है लेकिन स्वभाव से हम बहुत उदारवादी और मध्यम मार्गी है।

भारत --
मेरे सम्मान का सबसे महान शब्द
जहाँ कहीं भी प्रयोग किया जाए
बाक़ी सभी शब्द अर्थहीन हो जाते है

इस शब्द के अर्थ
खेतों के उन बेटों में है
जो आज भी वृक्षों की परछाइओं से
वक़्त मापते है
उनके पास, सिवाय पेट के, कोई समस्या नहीं
और वह भूख लगने पर
अपने अंग भी चबा सकते है
उनके लिए ज़िन्दगी एक परम्परा है
और मौत के अर्थ है मुक्ति
जब भी कोई समूचे भारत की
'राष्ट्रीय एकता' की बात करता है
तो मेरा दिल चाहता है --
उसकी टोपी हवा में उछाल दूँ
उसे बताऊँ
के भारत के अर्थ
किसी दुष्यन्त से सम्बन्धित नहीं
वरन खेत में दायर है
जहाँ अन्न उगता है
जहाँ सेंध लगती है

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