Monday 14 December 2015

एक शेर !!!

एक शेर

दुरी थी,डर था, कुछ खत थे और तुम
कंगन है बिंदिया है कुछ हम है और तुम

मौलवी साहब

पहले घर की दालान से शिव मंदिर दिखता था आहिस्ता आहिस्ता साल दर साल रंग बिरंगे पत्थरों ने घेर लिया मेरी आँख और शिव मंदिर के बिच के फासले क...