Saturday 31 October 2015

और आंख मूंदे गंतव्य की ओर अग्रसर हुं

सड़क पे अतिक्रमण है ,
ठेले है , रेहड़ी वाले है 
बची सड़क पे गाड़िया 
सरपट दौड़ने की चाह में 
हार्न बजा रही है 
जनता सरक सरक के 
ठेले से , गाडी से बचते हुए 
बीच का रास्ता चुन 
गंतव्य की  ओर  
आंख मुंदे अग्रसर है 
नालियो में प्रगति के प्रतिक 
कम्पनियो के प्लास्टिक 
जिनमे उनकी मंशा 
को पैक किया गया था 
आकाश की निहार रही है 
मै भुत के ज्ञान से 
भविष्य को बुनने की 
कोशिश कर रहा हु 
और आंख मूंदे 
गंतव्य की  ओर
अग्रसर हुं। 

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