Thursday 22 October 2015

तुम्हारे मौत के है हम जिम्मेदार कलबुर्गी

तुम्हारे मौत के है हम जिम्मेदार कलबुर्गी
हुआ तुझपे मेरी ही मौन का वार कलबुर्गी

लिखा तूने तो उसका ये असर होगा जमाने पे
कलम पैदा करेगी फिर से दो - चार  कलबुर्गी

जिन्होंने शब्द को चाहा बन जाए दरबारी
तुम्हारी मौत उनके लिए है हार कलबुर्गी

विचारो और गोली की एक लंबी लड़ाई में
तुम्हारी मौत ने भर दी है फिर हुंकार कलबुर्गी


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