Saturday 8 August 2015

रिक्शा वाला

उसके पैर पैडल के लिए थे
आँखे सडको के लिए
शरीर धुप की गिरफ़्त में
ज़ेब बैठने वालो की रहम पर
रिक्शा बैक वालो के
अपना था तो बस
वो हौसला
की शाम होते घर जाना है



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