Friday 14 August 2015

हां है आजादी

हां है आजादी
बंद कमरे में रह के
अपने विचार व्यक्त करने की
बुद्धिजीवी होने की
आजादी सिर्फ उसके
झंडे उठाने की
जिसने इस बार लाल किले पे
झंडा फहराया
आजादी वही पढने की
जो समझाते है की
आजादी क्या  होती है
और आगाह करते है की
समझने के बाद रट लो
लेकिन उपयोग ना करो
क्योकि वो पाठ क्रान्ति का
आजादी वाली सिलेबस में नहीं है
आजादी जन-गण -मन गाने की
और " सारे जहां से अच्छा " पे
बहस करने की
सिर्फ इकबाल पे बहस की आजादी
आजादी लिखने की फिल्मे बनाने की
लेकिन सत्य पे आधारित नहीं
भाट -चारणो वाली कहानी
ताकि लिखने वाले की
आजादी बरकरार रहे
और भविष्य में
राज्य सभा की सीट मिल जाए



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