Friday 31 July 2015

एक शनिवार, मै और परवीन शाकिर

परवीन शाकिर  का नाम मुझे लगता है , हर उस  दिल में ताउम्र रहेगा जिसने कभी भी मोहब्बत की होगी और उस दौरान प्रेम पत्र में अपने अहसासो को और प्रखर बनाने के लिए एक दो मिसरे लिखे होंगे।  परवीन शाकिर उस नर्म नाजुक अहसास का नाम है जो ना तो उनसे पहले और ना तो उनके बाद अभी तक दिखी है उर्दू शायरी में।  हर मिसरा मन करता है गुनगुना ले , हर गजल, गीत, नज्म इतनी सादगी से लिखी हुई है  जैसे लगता है  हर लफ्ज आपस में गुफ्तगू कर रहे हो।  पूरा फ़न प्रेम से ओत - प्रोत , जिसमे कोई बनावट नहीं इसलिए वो अपने व्यक्तिगत अनुभूति के इतने करीब लगती है मानो वो शेर परवीन शाकिर  नहीं हम कह रहे है।

प्रेम में स्त्री की व्यथा हालांकि परवीन शाकिर  का केंन्द्रीय विषय रहा है लेकिन मेरा मानना है की प्रेम की मौलिक परिभाषा में लिंग भेद नहीं है  जिस वजह से उनके मिसरो का मूल भाव प्रेम है ना की  केवल स्त्री

"  कह रहा है किसी मौसम की कहानी अब तक 
जिस्म बरसात में भीगे हुए जंगल की तरह "
 ये भावनाए केवल स्त्री प्रधान तो नहीं हो सकती।  ये अभिव्यक्ति स्त्री पुरुष दोनों के लिए उतनी ही मौलिक है  जितना परवीन शाकिर  की कलम की स्याही में मोहब्बत।  ये वो दौर था जब आधुनिक उर्दू शायरी में खासकर पाकिस्तान में हिन्दू से छुआछूत कुछ कम हो गई थी।  हिंदी के अनेकानेक देशज शब्द आपको परवीन शाकिर  की नज्मे , गजलो में मिल जाएंगे।  यही कारण है की परवीन शाकिर किसी पारम्परिक शायरा की नक़ल ना बनते हुए , खुद का एक नया अंदाज तथा आयाम कायम कर पाई जो जनजीवन तथा जनमानस के काफी करीब है। 
रुपहली चांदनी में 
या कि फिर तपती दुपहरी में 
बहुत गहरे खयालो में 
कि बेहद सरसरी धुन में 
तुम्हारी जिंदगी में 
मै कहां पर हुँ।  

मोहब्बत के सफर के हर अंदाज को बड़े ही सलीके से व्यक्त किया हे , जहा कटाक्ष भी करना होता है तो उनका लहजा बड़ा ही कातिलाना होता है।  समाज पर व्यंंग करने के उनके लहजे के पीछे मोहब्बत का दर्द और शायरी की नक्काशी दोनों मौजूद रहती है।  

सुनते है क़ीमत तुम्हारी लग रही है आजकल 
सबसे अच्छे दाम किसके है ये बतलाना हमें 
इसलिए ये कह सकते है की परवीन शाकिर की शायरी में केवल मोहब्बत की कशिश और प्रेमियों के वियोग का ग़म  नहीं बल्कि हर वो अहसास मौजूद जो  किसी भी प्रकार से मोहब्बत को व्यथित करता है।  

लहू ज़मने से पहले खु बहा दे 
यहाँ इंसाफ से कातिल बड़ा हे 
परवीन शाकिर उस शायरा का नाम है जो  हर उस आयाम को अपने मिसरों में जगह देती है जिसका कही से भी ताल्लुक मोहब्बत से हो।  अगर मोहब्बत सफर है तो एक राहगीर की तरह परवीन शाकिर  ने बड़ी खूबसूरती से इस सफर के हर पड़ाव को बयां किया है।  इसमे माशुका का अल्ल्हड़पन भी है , समाज का प्रेम के प्रति नजरिया भी , और एकांतवास भी।  

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