Friday 11 March 2016

तुम मेरे खिलाफ बोल सकते हो

तुम मेरे खिलाफ बोल सकते हो
क्योंकि ,
मै सुनूंगा भी और ,
तुम्हारे साथ उस आवाज में
अपनी आवाज भी जोड़ दूंगा।
मेरे पास कोई भीड़ नहीं है
कोई झंडा  नहीं है
कोई नारा नहीं है
कोई इतिहास नहीं है
सिर्फ मैं हुँ ,
और मेरे साथ है
सुनने की वो ताकत
जो तुम्हारी मंशा पूरी करेगा
अन्यथा मेरी आवाज में
तुम्हारी चीख खो जाएगी
और तुम्हारा मेरे खिलाफ होना
बदल जाएगा
एक दूसरे के खिलाफ होने में।
तुम भरसक प्रयास करना \
अपनी बात मनवाने का
मै  तैयार हुँ समझने के लिए
कि तुम्हारे शब्दों के बीच कौन है
जो मेरे शब्दों के बीच बैठे उस
निर्णायक मंडली को
वो नहीं सोचने दे रहा
जो तुम सोच रहे हो।
मै साध लूंगा मौन
तुम बोलते रहना
चीखते रहना लेकिन
बोलना जरूर।
शब्द और सत्य भले ही साथ ना चल पाए
लेकिन
कुछ फासला जरूर कम होगा
मेरे और तुम्हारे अर्धसत्य का


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