Friday 22 May 2015

तुम तप करो

क्यो उदास हो गई आज तुम ,
सोना ऑर कुंदन वाली
कहानी सुनी थी ना !!
तुम तो कुंदन हो
तपो
ऑर निखर जाओगी
इसलिये नही क्योकी तुम नारी हो ,
 इसलिये भी नही की तुम ने
मर्यादा की चादर ओढ रखी हॅ
जिसके धागे
असंख्य बलिदानो के मुक गवाह हॅ ,
चादर वही हॅ कबीर की
 झीनि चदरिया
तुम तपो क्योकी
उस तप मे हि तो मानव का
असली पुरुषार्थ छुपा हॅ
ऑर निष्पक्ष इतिहास भी
ऑर मेरे लिये ....
तुम तो वही हो
मेरे उस हिस्से का प्रतीक
या स्वयं मॅ
जो केवल हठ करना जानता हॅ ,
 हठ की तुम तप करो मॅ पुरुष हुं

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