Tuesday 7 April 2015

मेरे ख्वाब मे आके निकला है एक चांद अभी शरमाता हुआ

मेरे ख्वाब मे आके निकला है एक चांद अभी शरमाता हुआ
एक रात के सन्नाटे मे गया वो हुस्न महक बिख्रराता हुआ

तुम पास मेरे हो लगता हॅ ये मस्त फिजाए कहती हॅ
मेरे होठो को भी याद आया ,एक प्यास जरा घबराता हुआ

मॅ गुम हो जाउं तेरे जादु मे , ए हुस्न परी इनकार ना कर
तु अपनी अदा को क्या जाने, शरमाता हुआ ईठलाता हुआ

मेरा खाली पन ऑर तन्हाई , तेरी दुरी ऑर मजबुरी भी
मुझे तुम याद आए जब देखा युं, एक फुल दुखी मुरझाता हुआ

Saurav Kumar Sinha 

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