Thursday 29 May 2014

ये आज जो पास आई बहुत है


ये आज जो पास आई बहुत है
ये दुनिया हमने ठुकराई बहुत है
यही नुक्सान है शीशा होने का ,
कुछ हुआ तो आंच आई बहुत है
आइना वक़्त को दिखाने के लिए
कलम में कुछ रोशनाई बहुत है
अब किसको सुनाए वो ग़ज़लें ,
जो उनको सुनाई बहुत है
Saurav Kumar Sinha
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