Tuesday 4 November 2014

मेरा ईश्क न हुआ लोकपाल हो गया

ना हां कहा ना मना किया ,
मेरा ईश्क न हुआ  लोकपाल हो गया

No comments:

Post a Comment

मौलवी साहब

पहले घर की दालान से शिव मंदिर दिखता था आहिस्ता आहिस्ता साल दर साल रंग बिरंगे पत्थरों ने घेर लिया मेरी आँख और शिव मंदिर के बिच के फासले क...