उसके पैर पैडल के लिए थे
आँखे सडको के लिए
शरीर धुप की गिरफ़्त में
ज़ेब बैठने वालो की रहम पर
रिक्शा बैक वालो के
अपना था तो बस
वो हौसला
की शाम होते घर जाना है
आँखे सडको के लिए
शरीर धुप की गिरफ़्त में
ज़ेब बैठने वालो की रहम पर
रिक्शा बैक वालो के
अपना था तो बस
वो हौसला
की शाम होते घर जाना है
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