मै ये कहता हुं कि अफ़लाक से आगे हूँ बहुत ।
इश्क कहता है अभी दर्दे दिल उट्ठा ही नही ।।
क्या अजब तेरे चंद तर -दामन ।
सबके दागे-गुनाह धो जाए ।।
जिंदगी को वफ़ा की राहो में ।
मौत खुद रौशनी दिखाती थी।।
पहले घर की दालान से शिव मंदिर दिखता था आहिस्ता आहिस्ता साल दर साल रंग बिरंगे पत्थरों ने घेर लिया मेरी आँख और शिव मंदिर के बिच के फासले क...
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