तेरा वादा ना पूरा हुआ , शाम से फिर सहर हो गई
मुझको खिड़की पे बैठे हुए , आज भी रात भर हो गई।
दो दिलो को जुदा कर गई एक परदेस की नौकरी
वो भी पागल उधर हो गया , मैं भी पागल इधर हो गई।
घर के लोगों को हर बात का,तेरी मेरी मुलाक़ात का,
पायलों से पता चल गया , चूड़ियों से खबर हो गई।
तन में बिजली सी लहराई थी , याद किसकी थी क्यों आई थी
चलते चलते ये ठंडी हवा , क्यों पसीने में तर हो गई।
- अंजुम रहबर
मुझको खिड़की पे बैठे हुए , आज भी रात भर हो गई।
दो दिलो को जुदा कर गई एक परदेस की नौकरी
वो भी पागल उधर हो गया , मैं भी पागल इधर हो गई।
घर के लोगों को हर बात का,तेरी मेरी मुलाक़ात का,
पायलों से पता चल गया , चूड़ियों से खबर हो गई।
तन में बिजली सी लहराई थी , याद किसकी थी क्यों आई थी
चलते चलते ये ठंडी हवा , क्यों पसीने में तर हो गई।
- अंजुम रहबर
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