तुम्हारे दर से जब गुजरते है
हर कदम पे कुछ बिखरते है
खिज़ा की आहट और एक गुल
हम भी रोज युहीं सवरते है
सुबह वाइज़ पे जिंदगी है
शाम साथ ले के मरते है
थकन रूह में है और ना जाने
जिस्म क्यों करवट बदलते है
हर कदम पे कुछ बिखरते है
खिज़ा की आहट और एक गुल
हम भी रोज युहीं सवरते है
सुबह वाइज़ पे जिंदगी है
शाम साथ ले के मरते है
थकन रूह में है और ना जाने
जिस्म क्यों करवट बदलते है
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