तु अभी ना वाकिफ-ए-आदाबे गुलामी हॅ अभी ,
रक्स जंजीर पहन के भी किया जाता हॅ
- हबीब जालिब
रक्स जंजीर पहन के भी किया जाता हॅ
- हबीब जालिब
पहले घर की दालान से शिव मंदिर दिखता था आहिस्ता आहिस्ता साल दर साल रंग बिरंगे पत्थरों ने घेर लिया मेरी आँख और शिव मंदिर के बिच के फासले क...
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