मॅ तो कलम कब का रोक देता ,
तुम्हारी याद ने किस्सा खत्म ना होने दिया
तुम्हारी याद ने किस्सा खत्म ना होने दिया
पहले घर की दालान से शिव मंदिर दिखता था आहिस्ता आहिस्ता साल दर साल रंग बिरंगे पत्थरों ने घेर लिया मेरी आँख और शिव मंदिर के बिच के फासले क...
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