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मौलवी साहब
पहले घर की दालान से शिव मंदिर दिखता था आहिस्ता आहिस्ता साल दर साल रंग बिरंगे पत्थरों ने घेर लिया मेरी आँख और शिव मंदिर के बिच के फासले क...
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तेरा वादा ना पूरा हुआ , शाम से फिर सहर हो गई मुझको खिड़की पे बैठे हुए , आज भी रात भर हो गई। दो दिलो को जुदा कर गई एक परदेस की नौकरी वो भ...
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जॉन के बारे में लिखने से पहले मै ये स्पष्ट करना चाहूँगा कि मै ना तो कोई शायर हु ना हीं उर्दू का जानकार और किसी भी फलसफे से मेरा कोई ख़ास र...
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हॅ अगर प्यार तो मत छुपाया करो , हम से मिलने खुले आम आया करो प्यार करना ना करना अलग बात है , कम से कम वक्त पर घर तो आया करो - अंजुम रह...
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