तुम भी बेवफाओ पे मेहरबां हो गए हो ,
लगता है किसी मुल्क के हुक्मरां हो गए हो
लगता है किसी मुल्क के हुक्मरां हो गए हो
पहले घर की दालान से शिव मंदिर दिखता था आहिस्ता आहिस्ता साल दर साल रंग बिरंगे पत्थरों ने घेर लिया मेरी आँख और शिव मंदिर के बिच के फासले क...
No comments:
Post a Comment