गुहारे रोज आती है सतलज के किनारो से
हमे फुर्सत नही मिलती राशन की कतारो से
अच्छे दिन की आहट कब मेरे गांव मे पहुंचेगी ,
चलो पुछ लेते है मुल्क के ठेकेदारो से
वही चर्चा मे थी शब भर कल कहकहो के बीच
जो बाते बोल आया था मॅ अपने राजदारो से
मिट्टी सबके साथ एक सा सलुक करती है
यही आवाजे आती है उजडी हुई मजारो से
'कुमार' फिक्र अपनी आज भी तुमको ना रहती है
कोई ये बात कहता था कभी अपने ई्शारो से
- Saurav Kumar Sinha
हमे फुर्सत नही मिलती राशन की कतारो से
अच्छे दिन की आहट कब मेरे गांव मे पहुंचेगी ,
चलो पुछ लेते है मुल्क के ठेकेदारो से
वही चर्चा मे थी शब भर कल कहकहो के बीच
जो बाते बोल आया था मॅ अपने राजदारो से
मिट्टी सबके साथ एक सा सलुक करती है
यही आवाजे आती है उजडी हुई मजारो से
'कुमार' फिक्र अपनी आज भी तुमको ना रहती है
कोई ये बात कहता था कभी अपने ई्शारो से
- Saurav Kumar Sinha
No comments:
Post a Comment