घुमक्कड़ों की टोली पहुंची मुक्तेश्वर ( 8 से 10 सितम्बर 2018 )
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वो बंजारा भी जीने का अजब अंदाज रखता है
जो इतना दर-बदर होते हुए भी बेघर नहीं लगता
नईम अख्तर बुरहानपुरी साहब का ये शेर शायद खुद में काफी है नीचे लगे फोटो की तर्जुमानी के लिए। हर एक यात्रा मेरे लिए हमेशा एक नई किताब की तरह होती है जिसके हर पन्ने में अनुभवों का भण्डार होता है शब्दों के आगे पीछे और बीच में ना जाने कितने किस्से छुपे होते है। वैसे ही एक नई किताब सामने आई मुक्तेश्वर यात्रा जो उत्तराखंड के नैनीताल जिले में कुमाऊँ की पहाडियों में २२८६ मीटर (७५०० फीट) की ऊँचाई पर स्थित है।मौक़ा दस्तूर और प्रबंध का सारा जिम्मा का था हालांकि पहली मुलाक़ात में ही मेहमानी और मेजबानी की दूरिया मिट गई। नए दोस्त , गीतों और गजलों से भरी गुलाबी ठण्ड के बीच महफ़िलें , साथियो के अनुभव और ना जाने क्या क्या। कुछ साथियों का परिचय देना जरुरी है , निशांत एक वीडियो ब्लौगर है और भारत भ्रमण कर चुका है। नीलिशा बिजनौर से आई थी और पकिया घुमक्कड़ है। प्रीतम और आर्का दास पश्चिम बंगाल का नेतृत्व कर रहे थी , प्रीतम ने एवरेस्ट बेस कैम्प की यात्रा इस साल। इसी बेस कैम्प को जॉनी ने भी कवर कर रखा है और वो हरियाणा से है। अवंतिका दिल्ली से थी और यात्रा का जूनून उनके अनुभवों में झलकता है। साहिल के अनुभव दिल को छू गए , सतत पर्यटन के लिए वो काफी काम कर रहे है और आप उनकी यात्राओं के बारे में ghoomakad.in से जान सकते है। मेजबानी का जिम्मा Club ten pine lodge और खास कर प्रजापति जी और आशीष के कंधे पे था। मोहित स्वभाव से अनुभवी और हल्द्वानी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। आकाश इटावा से है और उनकी चुलबुली हरकतों ने माहौल को स्वस्थ बना रखा। जॉय से पहले भी दिल्ली के कई इवेंट्स में मुलाकात हो रखी थी और उनका अनुभव "फ़ूड ब्लॉगिंग " के क्षेत्र में काफी अच्छा है।
भालूगढ़ जलप्रपात और मुक्तेश्वर मठ की यात्रा अविस्मरणीय रही। लेकिन यात्रा के अलावा जो बात पुरे दौरे को यादगार बनाती है वो है Club 10 Pine Lodge और इस होटल के मालिक धीरज जी की मेहमानवाज़ी। देश के लगभग सभी हिस्सों को घुमा है। अगर किसी चीज की तलाश एक यात्री को होती है तो वो होता है गर्मजोशी से ओत प्रोत करने वाली मेहमानवाज़ी।
इस यात्रा की शुरुआत दिल्ली से हुई और हम NH-24 से होते हुए गढ़ मुक्तेश्वर , मुरादाबाद ,हल्द्वानी पार करते हुए मुक्तेश्वर पहुंचे। रास्ते में एक दूसरे के अनुभवों को सुनना बहुत आनंददायक था। एक यात्री आपको बैठे बैठे पूरी दुनिया की सच्ची सैर करा सकता है , और हम तो १२ थे। Club 10 Pine Lodge को जिस बारीकी और मोहब्बत से बनाया गया है वो आपको मोहित कर लेगा। इसी मनमोहक फ़ज़ा के बीच रात को महफ़िलों का जो लुत्फ़ आया उसपर पूरी किताब लिखी जा सकती है। गीता दत्त से ले कर आतिफ तक का सफर हम सभी यात्रियों ने मिल कर लिया। हमारे सुर हर एक शख्सियत के अनुभवों के तान पर थे। Club 10 Pine lodge के बारे में अगर आपको और जानना है तो आप नीचे दिए लिंक्स पे जा सकते है।
भालूगढ़ जलप्रपात और मुक्तेश्वर मठ की यात्रा अविस्मरणीय रही। लेकिन यात्रा के अलावा जो बात पुरे दौरे को यादगार बनाती है वो है Club 10 Pine Lodge और इस होटल के मालिक धीरज जी की मेहमानवाज़ी। देश के लगभग सभी हिस्सों को घुमा है। अगर किसी चीज की तलाश एक यात्री को होती है तो वो होता है गर्मजोशी से ओत प्रोत करने वाली मेहमानवाज़ी।
इस यात्रा की शुरुआत दिल्ली से हुई और हम NH-24 से होते हुए गढ़ मुक्तेश्वर , मुरादाबाद ,हल्द्वानी पार करते हुए मुक्तेश्वर पहुंचे। रास्ते में एक दूसरे के अनुभवों को सुनना बहुत आनंददायक था। एक यात्री आपको बैठे बैठे पूरी दुनिया की सच्ची सैर करा सकता है , और हम तो १२ थे। Club 10 Pine Lodge को जिस बारीकी और मोहब्बत से बनाया गया है वो आपको मोहित कर लेगा। इसी मनमोहक फ़ज़ा के बीच रात को महफ़िलों का जो लुत्फ़ आया उसपर पूरी किताब लिखी जा सकती है। गीता दत्त से ले कर आतिफ तक का सफर हम सभी यात्रियों ने मिल कर लिया। हमारे सुर हर एक शख्सियत के अनुभवों के तान पर थे। Club 10 Pine lodge के बारे में अगर आपको और जानना है तो आप नीचे दिए लिंक्स पे जा सकते है।
''सैर कर दुनिया की गाफिल, जिंदगानी फिर कहाँ?
जिंदगी गर कुछ रही तो नौजवानी फिर कहाँ?''
दुनिया में मनुष्य-जन्म एक ही बार होता है और जवानी भी केवल एक ही बार आती है। साहसी और मनस्वी तरुण-तरुणियों को इस अवसर से हाथ नहीं धोना चाहिए। कमर बाँध लो भावी घुमक्कड़ो! संसार तुम्हारे स्वागत के लिए बेकरार है।
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