शान्ति कोई प्रस्ताव नहीं जिस पे वाद विवाद हो , शान्ति एक आवश्यकता है। दादरी में एक मंदिर से ये घोषणा हुई की फलां आदमी ने गो मांस खाया है तो भीड़ ने उसकी ह्त्या कर दी। मृत की बेटी ने कहा की अगर मांस गो मांस ना हुआ तो क्या लोग उसके अब्बा को वापस ला देंगे ? क्या इसी मन्दिर की बात हम १९९१ से कर रहे है या इसी प्रकार के मन्दिर की?
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मौलवी साहब
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