Monday, 21 September 2015

१९- २० सितम्बर 2015 दिल्ली हिंदी अकादमी का कवि सम्मलेन

कल दिल्ली हिन्दी अकादमी के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने का मौक़ा मिला।  सच कहु तो जिंदगी की कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से ये एक था।  इसमे मैंने कविता पाठ  तो नहीं की लेकिन जिस मंच पे मंगलेश डबराल , नरेश सक्सेना और लीलाधर मंडलोई जैसे लोग हो वो किसी भी हिंदी प्रेमी के लिए एक अविस्मरणीय पल है।   जिन कवियो को आज तक पढ़ा प्रेरणा ली और बहुत कुछ सीखा , उनको इतने पास से सुनाने और महसूस करने का मौक़ा मिला , लगा जैसे कविता के देश में मै एक अथक यात्रा कर रहा हु।  नरेश सक्सेना जी को सुनना और उनका काव्य पाठ अपने में एक दैविक अनुभूति है। उन्होंने "चम्बल" वाली कविता का पाठ किया और हाल में बैठे किसी भी शख्स की आँखे  सुखी ना रह सकी।  १८ भाषाओ के कवियों को सुनना और उनके अनुवाद को समझने के प्रयास के बाद इस बात पे गर्व है की हिंदी बड़ी बहन के नाते अपना कर्तव्य बखूबी निभा रही है।


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