मेरे ख्वाब मे आके निकला है एक चांद अभी शरमाता हुआ
एक रात के सन्नाटे मे गया वो हुस्न महक बिख्रराता हुआ
तुम पास मेरे हो लगता हॅ ये मस्त फिजाए कहती हॅ
मेरे होठो को भी याद आया ,एक प्यास जरा घबराता हुआ
मॅ गुम हो जाउं तेरे जादु मे , ए हुस्न परी इनकार ना कर
तु अपनी अदा को क्या जाने, शरमाता हुआ ईठलाता हुआ
मेरा खाली पन ऑर तन्हाई , तेरी दुरी ऑर मजबुरी भी
मुझे तुम याद आए जब देखा युं, एक फुल दुखी मुरझाता हुआ
Saurav Kumar Sinha
एक रात के सन्नाटे मे गया वो हुस्न महक बिख्रराता हुआ
तुम पास मेरे हो लगता हॅ ये मस्त फिजाए कहती हॅ
मेरे होठो को भी याद आया ,एक प्यास जरा घबराता हुआ
मॅ गुम हो जाउं तेरे जादु मे , ए हुस्न परी इनकार ना कर
तु अपनी अदा को क्या जाने, शरमाता हुआ ईठलाता हुआ
मेरा खाली पन ऑर तन्हाई , तेरी दुरी ऑर मजबुरी भी
मुझे तुम याद आए जब देखा युं, एक फुल दुखी मुरझाता हुआ
Saurav Kumar Sinha
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