ये आज जो पास आई बहुत है
ये दुनिया हमने ठुकराई बहुत है
ये दुनिया हमने ठुकराई बहुत है
यही नुक्सान है शीशा होने का ,
कुछ हुआ तो आंच आई बहुत है
कुछ हुआ तो आंच आई बहुत है
आइना वक़्त को दिखाने के लिए
कलम में कुछ रोशनाई बहुत है
कलम में कुछ रोशनाई बहुत है
अब किसको सुनाए वो ग़ज़लें ,
जो उनको सुनाई बहुत है
जो उनको सुनाई बहुत है
Saurav Kumar Sinha
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