पुल बनाने की कोशिश कर रहा हु
दो शब्दों के बीच।
बहुत मतभेद हो जाता है
मेरे शब्दों में।
हर बार लिखु एक जैसा लेकिन
बिखर जाते है
जैसे ही किसी के सामने आते है ,
अलग अलग हो जाते है
और दिख जाता है मतभेद।
मै चुपचाप जुट जाता हु
मरम्मत में
अलग अलग शब्दों के ,
अलग अलग।
मजे की बात देखिये
वो शब्द जो कभी मेरे थे ही नहीं
हां जो कोशिश कर रहा हु
पुल बनाने की ,
वो पुल मेरा है
और यात्रा हम सब की।
दो शब्दों के बीच।
बहुत मतभेद हो जाता है
मेरे शब्दों में।
हर बार लिखु एक जैसा लेकिन
बिखर जाते है
जैसे ही किसी के सामने आते है ,
अलग अलग हो जाते है
और दिख जाता है मतभेद।
मै चुपचाप जुट जाता हु
मरम्मत में
अलग अलग शब्दों के ,
अलग अलग।
मजे की बात देखिये
वो शब्द जो कभी मेरे थे ही नहीं
हां जो कोशिश कर रहा हु
पुल बनाने की ,
वो पुल मेरा है
और यात्रा हम सब की।
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