जिसको पहले हम
पॅदा ही नही होने देते
होने पर जिन्दगी भर कोसते है
उसे हिन्दुस्तान मे हम ऑरत कहते है
पॅदा ही नही होने देते
होने पर जिन्दगी भर कोसते है
उसे हिन्दुस्तान मे हम ऑरत कहते है
जिसको खरीदने के लिये
दिवारो का सहारा लिया जाता है
खरीदार बेरोकटोक घुमते है
सामान अंधेरो मे गुम हो जाता है
नया दुकानदार भी शादी के नाम पर
अच्छा मोल भाव करता है
सामान को परखता है
इस्तेमाल करता है ,
पसंद ना आने पे जला देता है
दुकान्दार कभी कभी हमारे
घरो मे भी मिलते है ,
ऑर सामान को
हिन्दुस्तान मे हम ऑरत कहते है
दिवारो का सहारा लिया जाता है
खरीदार बेरोकटोक घुमते है
सामान अंधेरो मे गुम हो जाता है
नया दुकानदार भी शादी के नाम पर
अच्छा मोल भाव करता है
सामान को परखता है
इस्तेमाल करता है ,
पसंद ना आने पे जला देता है
दुकान्दार कभी कभी हमारे
घरो मे भी मिलते है ,
ऑर सामान को
हिन्दुस्तान मे हम ऑरत कहते है
जिससे प्यार सबको चाहिये
दुलार सबको चाहिये ,
सब की भुख भी वही
अलग अलग रुप अलग अलग नाम
बन कर जिन्दगी भर मिटाती है
भुख ना मिटने पर
सिर्फ नोंची जाती है काटी जाती है
खाने वाला पेट भर
अगले सामान की खोज मे
निकल जाता है ,सामान दम तोड देता है
एसे खाने वाले कभी कभी हमारे
घरो मे भी मिलते है ,
ऑर सामान को
हिन्दुस्तान मे हम ऑरत कहते है
दुलार सबको चाहिये ,
सब की भुख भी वही
अलग अलग रुप अलग अलग नाम
बन कर जिन्दगी भर मिटाती है
भुख ना मिटने पर
सिर्फ नोंची जाती है काटी जाती है
खाने वाला पेट भर
अगले सामान की खोज मे
निकल जाता है ,सामान दम तोड देता है
एसे खाने वाले कभी कभी हमारे
घरो मे भी मिलते है ,
ऑर सामान को
हिन्दुस्तान मे हम ऑरत कहते है
इस सामान को एसे ही सदियो से इस्तेमाल करने वाले को मर्द कहते है
- Saurav Kumar Sinha
ReplyDeleteThank you for sharing such great information.
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