Tuesday, 11 November 2014

मुझे जलाना मत

मुझे जलाना मत ,
जानता हूं मॅ हिन्दु हुं
ये रस्म है जो
तुम्हे भी निभानी होगी
लेकिन मेरे जिस्म मे ,
रूह मे खून के एक एक कतरे मे
फराज फॅज और मीर की
जिन्दगी भी शामिल है
दुनिया कहती है वो मुसलमान है
और मुसलमानो को जलाया नही जाता
तुम रस्म के हाथो मजबुर हो
मै सच के हाथो
या कमजोर  हु ,
की वो लकिरे जो सरहद पे है
या मजहबो के बीच
उन मे मॅ बंट नही पाया
तुम बांट देना
बांट पाओ तो , 

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