तुम मेरी ज़बान हो गई हो
भाव यूँ बढे की आज तुम
कीमती सामान हो गई हो
तीर की कमान हो गई हो
मेरे रात के अंधेरो के लिए
सुबह की अज़ान हो गई हो
बादलो से ख़ौफ़ खाया कर
रेत का मकान हो गई हो
भाव यूँ बढे की आज तुम
कीमती सामान हो गई हो